पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे तालिबान के कितने बड़े समर्थक हैं। सोमवार को इस्लामाबाद में एक प्रोग्राम के दौरान इमरान ने कहा- तालिबान ने वास्तव में गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया है।
पाकिस्तानी सेना और सरकार पर तालिबान को समर्थन और मदद के आरोप लगते रहे हैं। अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान के ही एबटाबाद में मार गिराया था।
सोमवार को ही एक और घटनाक्रम हुआ। अफगानिस्तान के कुछ सियासतदान इस्लामाबाद पहुंचे और उन्होंने वहां पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात की। हालांकि, यह साफ नहीं हुआ कि इस डेलिगेशन में तालिबान के कुछ नेता थे या नहीं।
मानसिक गुलामी का विरोध
एक एजुकेशनल सेरेमनी के दौरान इमरान ने तालिबान की खुले तौर पर तारीफ की। हालांकि, ये भी सही है कि उन्होंने ऐसा पहली बार नहीं किया। लेकिन, ऐसे वक्त जबकि दुनिया अफगानिस्तान पर आतंकियों के शासन को लेकर तमाम आशंकाओं से घिरी है, इमरान का बयान हैरान करने वाला है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा- जब आप दूसरी संस्कृतियों को स्वीकार करते हैं तो एक तरह का दबाव आ जाता है। जब ये हो जाता है तो मैं इसे वास्तविक गुलामी से बुरा मानता हूं। सांस्कृतिक गुलामी से निकलना आसान नहीं होता। अफगानिस्तान में क्या हुआ या क्या हो रहा है? वहां गुलामी की जंजीरें ही तो तोड़ी जा रही हैं। इमरान ने इस मौके पर इंग्लिश मीडियम एजुकेशन के कल्चर पर पड़ने वाले गलत प्रभावों का जिक्र भी किया। इसी संदर्भ में उन्होंने तालिबान का समर्थन कर दिया।