सिक्योरिटी अधिकारियों ने कहा- सांसदों का बर्ताव बहुत आक्रामक था

सिक्योरिटी अधिकारियों ने कहा- सांसदों का बर्ताव बहुत आक्रामक था

हंगामे के चलते राज्यसभा अनिश्चितकाल तक स्थगित होने के अगले दिन गुरुवार को सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। राज्यसभा में मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच मार्शल बुलाने पड़ गए थे। इसी को लेकर गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 15 विपक्षी दलों के साथ संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला। आरोप लगाया कि सरकार ने सदन में लोकतंत्र की हत्या की।

इसके बाद देर शाम संसद में तैनात सिक्योरिटी अधिकारियों का बयान सामने आया। उन्होंने बताया कि सांसदों का बर्ताव बेहद आक्रामक था। सिक्योरिटी असिस्टेंट अक्षिता भट ने बताया कि कुछ पुरुष सांसद जो प्रदर्शन में शामिल थे, मेरी तरफ दौड़े और सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि जब मैंने इसका विरोध किया, तो सांसद छाया वर्मा और फूलो देवी नेताम एक तरफ हट गईं और पुरुष सांसदों को वेल तक पहुंचने का का रास्ता दिया। अक्षिता ने कहा कि दोनों महिला सांसदों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने में साथी पुरुष सांसदों की मदद की। उन्होंने जबरदस्ती मेरी बांहें पकड़ ली और मुझे घसीटा।

मेरी गर्दन पकड़ी, कुछ पल के लिए घुटन हुई: सुरक्षा अधिकारी
सिक्योरिटी अधिकारी राकेश नेगी ने बताया कि 11 अगस्त को मुझे राज्यसभा में मार्शल ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था। इस दौरान सांसद एलमारन करीम और अनिल देसाई ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की। सांसद एलमारन करीम ने मेरी गर्दन पकड़ ली और मुझे सुरक्षा घेरे से दूर करने लगे। इससे मुझे कुछ पल के लिए घुटन होने लगी।

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