भारत ने 2012 के बाद से कोई भी ट्रेड एग्रीमेंट नहीं किया है। ऐसे में भारत यूरोपियन यूनियन (EU) और अमेरिका से फिर संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर बातचीत शुरू कर सकता है। रीजनल कॉम्प्रहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) से बाहर रहने के बाद मोदी सरकार अन्य आर्थिक ब्लॉक्स से ट्रेड डील करने के लिए उत्सुक है। एक उच्च स्तरीय सूत्र के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बन रहे चीन विरोधी सेंटिमेंट का भारत को लाभ मिलने की उम्मीद है।
यूरोपियन यूनियन भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
यूरोपियन यूनियन भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। इसकी इंडियन ट्रेन में कुल 11.1% हिस्सेदारी है। इसके बाद अमेरिका और चीन का नंबर आता है। इन दोनों की इंडियन ट्रेड में 10.7% हिस्सेदारी है। आर्थिक मामलों पर भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि हम इस बात को लेकर सकारात्मक हैं कि यूरोपियन यूनियन-अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भारत को लाभ मिलेगा और बातचीत जल्द शुरू होगी। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी दूसरे देशों के साथ ट्रेड एग्रीमेंट का विरोध नहीं किया है। अब जब भारत RCEP से बाहर हो गया है तो यह काफी जरूरी है।